इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी विचारों के लिये लेखक स्वयं उत्तरदायी है। संपादन मंडल का लेखक की राय से सहमत होना अनिवार्य नहीं है। -संपादक

महंगाई! महंगाई! महंगाई!

महंगाई ने अब तक किस हद को पार नही किया
पहले आटा, चावल, दाल, सब्जिया, फल यह सब तो महंगा हुआ ही साथ ही बिजली के दामो में बढ़त हो गई
और अब तो पानी के दामो को भी बढ़ाया जा रहा है अगले साल से
इन सब के दाम तो बढ़ा दिए सरकार ने लेकिन आमदनी का क्या वो कब बढ़ेगी?
ऐसे ही चलता रहा तो महंगाई के चलते बुख के साथ साथ प्यासा भी रहने की आदत डालनी पड़ेगी!
ज्यादातर राज ठाकरे के ब्यान से सुनने को मिलता है महाराष्ट्र मराठो का है और मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है।

लेकिन सविधान के तहत तो हर भारतीय नागरिक को पूरे भारत में कही भी रहने और कारोबार करने का पूर्णतया अधिकार है, तो फिर महाराष्ट्र को सिर्फ़ मराठो का बोलना कहा तक उचित है?

मुंबई हो या महाराष्ट्र है तो भारत का ही, तो महाराष्ट्र को मराठो का कहना भारत के हर नागरिक को महाराष्ट्र से अलग कहना और मराठो को भारतीय से अलग कहना है, और न तो इसमे किसी भी मराठो की गलती है और न ही महाराष्ट्र में रहने वाले भारतीयों की, क्योकि वह भी अपने आप को भारतीय समझते है।
दिल्ली में किसी को भी सुरक्षित कह पाना आसान नही था लेकिन मेट्रो रेल ने एक उम्मीद दिल्लीवासियों की दिल में पैदा की जिस पर वो भी खरी उतर नही पाई।
अब तक तो ट्रैक और पिल्लर वाले हादसे सुनने और देखने को आ रहे थे लेकिन अब तो मेट्रो रेल का ट्रैक पर से उतर जाना यह सब देखने को आ रहा है।
वैसे इसमे गलती है भी किसकी आज जहा मेट्रो के पिल्लर का निर्माण किया जा रहा है वही जाकर देखा जाए कि पहले वाले पिल्लर और अब के पिल्लर की बनावट दोनों में कितना अन्तर है

लो वेस्ट जीन्स पर बैन

पिछले दिनों इस बात से पूरे समाज में सनसनी फैल गई कि अब लड़के-लड़कियाँ लो वेस्ट जीन्स नहीं पहन सकेंगे। मुद्दआ ये है कि इस प्रकार के परिधानों को उत्तोजक बताते हुए इन पर बैन लगा दिया गया है। अब ये विषय विश्वविद्यालयों की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं से लेकर साहित्यिक पत्रिकाओं के वाद-विवाद व्यवसाय तक छाया रहेगा।

दरअसल हमारा जागरूक समाज इस निर्णय को इसलिए स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि यह हमारे मौलिक अधिकार 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का हनन है। इस संदर्भ में परम आदरणीया मल्लिका जी की एक सूक्ति उध्दृत की जा सकती है। जब उनके परिधानों को लेकर कुछ संकुचित मानसिकता वाले लोगों ने हंगामा खड़ा किया था तो मल्लिका जी ने यह उद्बोधन देकर मुआमला शांत किया था कि मेरे पास ख़ूबसूरत बदन है तो मैं क्यों न दिखाऊँ। तर्क में दम था। सो हंगामाजीवियों को साँप सूंघ गया और संपादकीय पृष्ठों से उठा विवाद पेज थ्री के इस बयान से समाप्त हो गया।

कदाचित् बुध्दिजीवियों ने यह सोचकर विवाद को आगे नहीं बढ़ाया कि यदि कल को मल्लिका जी ने उन्हें कम कपड़े पहनने की चुनौती दे डाली तो क्या होगा! सो अपनी इज्ज़त अपने हाथ....। ख़ैर कपड़ों की तरह विषय भी भटक गया था। सो वापस लो वेस्ट जीन्स पर आते हैं।

यह मुआमला केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन का नहीं है अपितु हमारे सभ्य समाज की 'अनुभूति की स्वतंत्रता' का भी है। जब कुछ 'सुराग़' ही नहीं दिखाई देगा तो कल्पनाशील समाज पूरी तस्वीर की कल्पना कैसे करेगा। और जब तस्वीर की कल्पना ही नहीं होगी तो वह सुखद अनुभूति कैसे होगी जो..........!

इतना ही नहीं, ये निर्णय पुन: हमारे समाज की महिलाओं को उसी पुरुषवादी कठघरे में ला खड़ा करने का एक षडयंत्र है जिससे बाहर आने के लिए सैंकड़ों लोग महिला-मुक्ति का झंडा उठाए कमा रहे हैं। पहले पुरुषों ने धर्म के नाम पर महिलाओं को घर की चाहरदीवारी में क़ैद कर रखा था और अब पूरे कपड़ों में क़ैद करने के लिए समाज और सभ्यता की दुहाई दी जा रही है।

ये अन्याय नहीं चलेगा। और चूंकि क्रांति दबाने से और भड़कती है इसलिए यदि पुरुष यूँ ही मनमानी करते रहे और महिलाओं को पूरे कपड़े पहनाने को विवश किया गया तो महिलाएँ इसका और भी अधिक विरोध करेंगी और कोई कॉरपोरेट कंपनी अपनी सोशल रिस्पांसिबिलिटी निभाते हुए लो थाइज़ जीन्स लांच कर देगी। फिर देखते रह जाएंगे सारे पुरुष!

सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए इस निर्णय पर बैन लगाए। ज़रा सोचिए! एक ग़रीब आदमी जो अभी दो सप्ताह पहले लिवाइज़ की जीन्स ख़रीद कर लाया है, इस निर्णय के लागू होने से उसके दिल पर क्या बीतेगी। कहाँ से लाएगा नई जीन्स ख़रीदने के लिए वह पैसा। जिस दौर में लोगों के पास दाल-रोटी के लाले हैं, ऐसे में सरकार ने यदि इस प्रकार के निर्णयों पर रोक नहीं लगाई तो ग़रीबी कितनी बढ़ जाएगी।

वैसे भी जब गांधी जी अपने देशवासियों की चिंता में अपने पायजामे को धोती में बदल सकते हैं, तो गांधी जी के अनुयायी अपनी जीन्स को थोड़ा छोटा नहीं कर सकते। ये और बात है कि गांधी जी ने पाऊँचे काटे थे और हमने बैल्ट! पर मूल मुद्दआ तो कटौती का है। और कटौती हम कर रहे हैं। अब इस निर्णय पर पुनर्विचार होना चाहिए और इसको जीन्स से हटाकर टॉप पर लागू करना चाहिए कि जो लो वेस्ट टॉप पहनेगा उस पर ज़ुर्माना किया जाएगा। इससे हमारे टॉप भी ऊपर उठेंगे और 'संस्कृति' भी!

हसी की चोट




अपनों ने लूटा,गैरों में कहाँ दम था.मेरी हड्डी वहाँ टूटी,जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,उसका पेट्रोल ख़त्म था.मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,क्योंकि उसका किराया कम था.मुझे डॉक्टरों ने उठाया,नर्सों में कहाँ दम था.मुझे जिस बेड पर लेटाया,उसके नीचे बम था.मुझे तो बम से उड़ाया,गोली में कहाँ दम था.और मुझे सड़क में दफनाया,क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन थ

ऑस्ट्रेलिया में हुए भारतीये छात्रों पर नस्लीय हमले में अब तक ऑस्ट्रेलिया में कोई कदम नही उठाया गया।

न तो उनका विरोध करने दिया जाता है और न ही उन हमलो के आरोपियों पर कार्यवाही की गई।

ऐसे में तो भारत के छात्रों का ऑस्ट्रेलिया में रहना किसी खतरे से कम नही जहा उसे सुरक्षा और अधिकारों से वंचित रखा जाता है।

भारत में स्वाइन फ्लू के अब तक १९ मामले सामने आ चुके है
और यह सब न्यू यार्क अथवा दुसरे देशो से आए यात्रियों से पनपा है।
यह सब बिना जांच के भारत में आने वाले यात्रियों से फैला है और
इसका जिम्मेदार और कोई नही एयरपोर्ट में जांच में होने वाली ढील है,
जिसकी कीमत भारतीयों को चुकानी पढ़ रही है।

रोड रेज से गोलाबारी तक

गुड़गांव के सोहना में जो रोड रेज की घटना हुई, जिसका परिणाम गोलीबारी तक पहुँच गया।
घटना सफारी और फोर्ड फिएस्टा में टक्कर की है, घटना है तो साधारण लेकिन इसके परिणाम से कोई घायल हुआ तो किसी को अपनी जान से हाथ धोने पढ़े।

फोर्ड फिएस्टा में बैठे ३ लड़कों ने जिस तरह डंडों और गोलियां प्रयोग करके मारपीट करी है उनके इस बर्ताव से साफ़ जाहिर होता है कि या तो वह ड्रिंक या फिर अपनी अमीरी की शान में आकर यह सब किया है।
आख़िर उन लड़कों के पास पिस्टल कहाँ से आई, और क्या उन्हें क्या जरुरत पड़ी कि वह अपने पास पिस्टल रखे।

इन सब का जिम्मेदार और कोई नही बल्कि उनके ख़ुद माँ-बाप है जो अपने बच्चों को पैसे कि इतनी छूट दे देते है कि उनको ग़लत रास्ते में धकेल ने वाले वो ख़ुद होते है।

वरुण का नामांकन पत्र

पीलीभीत से कथित सांप्रदायिक भाषण देने वाले वरुण गाँधी १५ दिनों के लिए जेल से तो छूट गए
लेकिन अब वो भाजपा में नामांकन के लिए पत्र भरेगे।

क्या देश की सरकार के लिए ऐसे उम्मीदवारों का खड़ा होना कहा तक सही है,
जो चुनाव से पहेले ही सांप्रदायिक भाषण दे रहे है वो जीतने के बाद क्या रंग दिखाएगे।
अब से अपना गुस्सा प्रकट करने का नया तरीका
सामने वाले को जूता उठा कर मारो गुस्सा भी उतर गया और नाम भी रोशन हुआ
हमारे सभी नेता बे-कार

देश में नए कर्जदार

देश में नए कर्जदार पैदा हो रहे है वे जो नैनो खरीदने के लिए कर्ज ले रहे है और वे लाचार जो सिर्फ़ इसलिए कर्ज ले रहे है कि बच्चो की बड़ी फीस जमा कर सके

बीजेपी नेता नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह कांग्रेस को १२५ साल की बुढ़िया कहा उस से तो साफ ज़ाहिर होता है की वह अपनी पार्टी के सदस्यों को या फिर अपने आप को जवान समझते है, बुढा नही।

उनके ब्यान से कांग्रेस अब बुढ़िया हो गई है, लेकिन मोदी जी क्या कही से जवान दिखते है?

क्या करे चुनाव के कारण पता नही नेता जी क्या-क्या बोल पढ़ते है उन्हें ख़ुद पता नही होता।

जूता और पत्रकारिता जगत

एक ख़बर- दैनिक जागरण के पत्रकार जरनैल सिंह ने पी.चिदंबरम पर जूता
फ़्लैश-1 : अनेक संस्थाओं ने जरनैल के लिये आर्थिक पुरस्कार घोषित किये
फ़्लैश-2 : दैनिक जागरण ने कहा कि जरनैल के ख़िलाफ़ अनुशासानत्मक कार्रवाई की जाएगी
फ़्लैश-3 : चिदंबरम ने जरनैल को माफ़ किया
फ़्लैश-4 : टाइटलर और सज्जन कुमार का टिकट ख़तरे में
फ़्लैश-5 : आई बी एन सेवन समेत अनेक टी वी चैनलों ने जरनैल की हरक़त को शर्मनाक बताया
फ़्लैश-6 : जरनैल ने माफ़ी मांगी
फ़्लैश-7 : जरनैल के जूते की क़ीमल 5 लाख तक लगाई गई

सबक-1 : पत्रकारिता पाठ्यक्रमों में जूता फेंकने का प्रशिक्षण सम्मिलित किया जाना चाहिये।
सबक-2 : पत्रकारों को अपने संस्थान से यह उम्मीद नहीं करनी चाहिये कि कोई मुसीबत पड़ने पर पत्रकार समाज उनके साथ खड़ा होगा।
सबक-3 : चुनाव के समय किसी भी नेता को कुछ कहा जाए तो माफ़ी बिना मांगे ही मिल जाएगी।
सबक-4 : राजस्थानी की एक कहावत है- सांडन की लड़ाई में झाड़न का नास होय!
सबक-5 : टी वी चैनलों के पत्रकार आईना नहीं देखते
सबक-6 : मरता क्या न करता!
पहेली-7 : क़लम बड़ी या जूता?

तकरार और आरोप

वरुण मसले में मेनका गाँधी और मायावती की इन दिनों तकरार देखने को मिल रही है
दोनों एक दुसरे के ऊपर आरोपो की बौछार लगा रहे है।
देखने में तो यह सब आम सा लग रहा है, लेकिन असल में तो यह राजनीति के मैदान में जीतने की एक बहस है।

कर्तव्य और घोषणापत्र

बीजेपी का घोषणापत्र-अयोध्या राम मन्दिर को बनवाने का संकल्प
अब तक ऐसे ही कितने संकल्प लिए कभी मन्दिर तो कभी मस्जिद
कभी भारतीय नागरिको की जरुरत को समझ पाई
बीजेपी को तो बस मन्दिर-मस्जिद को बनवाने और तोड़ने का ही कम रह गया है।

छा गई नैनो

हर व्यक्ति की इच्छा को धयान में रखते हुए टाटा मोटर्स ने नैनो को मार्केट में लाई है, जो आज काफी प्रचलित हो गई है।
कुछ समय बाद तो सब्जी वालो का सपना साकार होने वाला है, जब वो भी कार में बैठकर अपना काम-धंधा करेगे।

वरुण गांधी बनाम जानवर

मेरे साथ जेल में जानवरों जैसा बर्ताव हुआ- वरुण गांधी

चलो ठीक ही हुआ, अब मेनका जी आपके संरक्षण के लिए अभियान चला सकती हैं!

नोट नही मदद बाटी जसवंत सिंह

ये मदद आप लोगो को मतदान से पहले ही याद क्यों आती है

४० बड़े नेता आतंकी निशाने पर
आज तो पूरा विश्व आतंकी निशाने पर है तो ४० नेता कौन सी बड़ी बात है
वरुण की सुरक्षा को खतरा
पहले ये बताइए कि आज की तारीख में किसकी सुरक्षा को खतरा नही है

भीड़ से बचने को राहुल भागे

सर अभी से ही भीड़ से भागना शुरू कर दिया तो आगे चल कर जीतने के बाद तो भीड़ से बचने के लिए इटली ही चले जायेगे जनता को अभी से सावधान हो जन चाहिए

भड़काऊ भाषण और वोट मांगते नेता

चुनाव के आते ही हर नेता का भाषण और घर-घर जाकर वोट मांगने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी जो अपने मत की अहमियत ही कम समझ ते है, नेताओ के भड़काऊ भाषण की गिरफ्त में आ जाते है।
आज हर भारतीय नागरिक को जागरूक होने की जरुरत है, खासकर युवा पीढ़ी को। अपना मत न तो भड़काऊ भाषण और न ही घर पर आए भीख मांगते हुए नेता को दे।
एक गलत नेता के कारण सबका भविष्य तो बर्बाद होगा ही और साथ ही पूरे देश को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

गुड्डू पंडित ने वोटरों को धमकाया

कोई नई बात नही है ये तो सता में रहने वाले हर व्यक्ति को करना पड़ता है

आंतक का पक्ष

अंजलि वाघमारे का नाम तो हम सब को न्यूज़ चैनल और अखबारों में देखने को मिलेगा क्योंकि इनका कारनामा ही कुछ ऐसा है। इन्होंने एक भारतीय होकर आंतकवादी की वकालत का जो फैसला लिया उससे भारतीय नागरिको के ज़ख्म तो हरे हो गए और साथ ही भारतीय का निवासी होकर आंतकवादी के पक्ष में लड़ के फैसले से लोगो की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। मुंबई हमले में जब उस आंतकवादी कसाब ने हजारो की तादाद में लोगो की हत्या करी थी, उस दिल-दहला देने वाले हमले के बाद क्या कोई गुंजाइश रह जाती है कि कसाब को किसी वकील की जरुरत है? यह सरासर आंतक को दिया जाने वाला बढावा है कि कोई भी आंतकवादी भारत पर हमला करके पकड़ा जाए तो उसके बचाव के लिए जिस देश पर हमला किया हो वही का वकील उसकी वकालत के लिए दिया जाए। जनता द्वारा इसका विरोध करना जायज़ है।

वरुण गांधी प्रकरण

वरुण गांधी प्रकरण को सुनने के बाद
मुझे मेनका गांधी की ग़लती बहुत साल रही थी
क्योंकि जब वरुण को बोलने की तमीज़ सिखानी थी
तब मेनका जी कुत्ते-बिल्ली पाल रही थी
अब उनके पाले हुए जंतु तो राजनीति कि गलियों में
मस्ती से डोल रहे हैं
औए बेचारे वरुण
संस्कारों के अभाव में
पशुता की भाषा
बोल रहे हैं
ऐसा लगता है कि हम लोग भविष्य को लेकर चिंतित नही है तब ही तो शनिवार रात ८:३०-९:३० के बीच भी दिल्ली कि जगमगाहट में कमी नही आई
नवसंवत आपके द्वार आ खड़ा हुआ है परन्तु आज का युवा उसे भुला चुका है १ जनवरी को मनाया जानी वाला नव वर्ष सबको याद है परन्तु अपना नव वर्ष किसी को याद नही है लेकिन फिर भी आप सभी को विक्रमी संवत २०६६ की शुभकामना इस आशा से की यह वर्ष देश को स्वस्थ और स्थायी केंद्र सरकार दे भारत और विश्व दोनों को मंदी की छाया से मुक्त कर जाए

चुनावी असर

चुनाव के निकट आने से सबसे ज्यादा असर जनसंचार के माध्यमो पर दिख रहा है। हर रोज अखबार बीजेपी और कांग्रेस की खबरों से भरा हुआ दिखता है तो कही उनके विज्ञापन से। रेडियो पर भी इन्ही पार्टियों का बोलबाला है। और दूरदर्शन और टीवी चैनल्स पर तो इनकी डॉक्युमेंटरी फ़िल्म प्रचार के रूप में देखने को मिलती है। यह सब काम के लिए नेताओ के पास बढ़ा धन है लेकिन जनता और समाज कलयाण के लिए जनता का ही पैसा खर्च करने में पीछे हट जाते है।

अब ऑनलाइन अपराधी भी कानून के शिकंजे में

साइबर क्राइम से जुड़े इन्टरनेट का दुरूपयोग करने वालो को सबक सिखाने के लिए संविधान के आईटी एक्ट संशोधन के तहत अपराधियों को दंड दिया जाएगा। पहले डीएसपी लेवल के अधिकारी ही इस एक्ट से जुड़े थे अब इंसपेक्टर लेवल भी जुड़ गया है। इस संशोधन के अंतर्गत अपराधियों को उम्रकैद तक हो सकती है। साइबर क्राइम को कुछ हद तक रोकने में क्या पुलिस सफल हो पाएगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

निगम के अधिकारी घूस लेते गिरफ्तार

कुछ तो गिरफ्तार हो गए बाकि तो अभी भी सरे आम लाखो रुपये की रिश्वत ले रहे है उनकी बारी कब तक आएगी

वरुण गाँधी पर लोगो को रूपये बाटने का आरोप

वरुण ने सोचा होगा कि जनता का पैसा जनता तक पहुँचा देना चाहिए

सपा ने कहा वरुण पर अडवाणी की पार्टी का असर है

यह भी बता दे की आप पर किस का असर है

बाल विकास में असफल भारत

भारत ने अर्थवयवस्था में कितनी ही बढ़त क्यो न क्यो न कर ली हो लेकिन बच्चो के विकास के प्रति कोई ठोस कदम नही उठाया। भारत में कई गांव और ईलाकों में बच्चो पर कई तरह से अत्याचार किए जा रहे है:-
  • 14 साल से कम आयु के बच्चो से कम वेतन पर मजदूरी ली जाती है जिससे बच्चो का बचपन उनसे छिनता जा रहा है और वह अपनी शिक्षा से दूर होते जा रहे है,
  • कम उम्र में बच्चो का विवाह किया जा रहा है और इस साल की यूनिसेफ की रिपोर्ट ने जाहिर किया है की भारत बाल विवाह का केंद्र है।
  • बच्चो का शोषण किया जा रहा है, उनसे उनके अधिकार छीने जा रहे है।
  • नवजात बच्चो खासकर लड़कियों को कई बार जन्म से पहले तो कई बार जन्म के बाद मौत के घाट उतार दिया जाता है।

इन कारणों के कारण भारत बाल विकास में पिछडा हुआ है। आर्थिक, सामाजिक, राजनातिक विकास के अलावा भारत को बाल विकास की ओर धयान देने की जरुरत है। बच्चो के विकास में ही इस देश की सफलता है क्योकि आने वाली पीढी की रक्षा करना देश का कर्तव्य और धर्म है।

भाषण के 100 रुपए

चुनाव आने से पहले तो नेताजी के कई वायदे होते है लेकिन क्या है कि वह एक छल-कपट होता है जो जनता के साथ किया जाता है। पर अब तो नेताजी का भाषण सुनने पर 100 रुपए दिए जा रहे है। हालाकि यह सब आम जनता के लिए काफ़ी कम है लेकिन चलो अच्छा है कि कम से कम उन्होंने कभी तो जनता के लिए सोचा।

धारावाहिकों में बहती कुरीतियों की धारा

टेलिविज़न धारावाहिकों में पिछ्ले कुछ समय से अचानक राजस्थान और गुजरात के प्रति प्रेम प्रदर्शन की परंपरा बनने लगी है। सात फेरे में राजस्थानी, घर की लक्ष्मी बेटियाँ में गुजराती और बालिका वधू में राजस्थानी परिवारों का 'असत्य चित्रण' करने के बाद अब हरियाणा के 'वीरपुर' को भुनाने की शुरुआत हुई है। मज़े की बात ये है कि सांस्कृतिक संपन्नताओं के इस देश में ऐसा कुछ भी हमारे निर्माताओं को नहीं मिला जिस पर गर्व किया जा सके।
कभी-कभी तो ऐसा लगने लगता है कि ये देश 'कुरीतियों का देश' है। ये सच है कि हमारे समाज में आज भी अनेक कुरीतियाँ मौजूद हैं, लेकिन क्या उनका इस प्रकार भौंडा प्रदर्शन देश की अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता।
आर्थिक, सामरिक, सामाजिक और राजनैतिक संकटों के इस भयावह दौर में क्या हमारा कर्तव्य यह नहीं है कि हम अपने घर की समस्याओं का ढिंढोरा पीटने की बजाय उनको हल करने का प्रयास करें। यहाँ यह बात विशेष रूप से ध्यातव्य है कि इन धारावाहिकों के निर्माताओं का इन कुरीतियों से इतना ही सरोकार है कि इन कुरीतियों को बेचकर पैसा कमाना इन्हें आसान जान पड़ता है।

पाक के बड़ते सवाल

26/11 मुंबई हमले में पाकिस्तान ने भारत से 30 सवाल पूछे थे, जिनका जवाब भारत के विदेश मंत्री ने दे दिया है। भारत ने पाकिस्तान से 19 आतंकवादी की मांग की थी, जिस पर पाकिस्तान ने भारत से 30 सवालो का जवाब पूछा था। अब पाकिस्तान भारत की मांग को टालने के लिए कौन सी नई तरकीब पेश करेगा। पाकिस्तान के हालात को देखकर तो यह लगता है कि वह कार्यवाही की जगह उल्टा भारत पर इल्ज़ाम ही थोपेगा।

आग़ाज़

सुना है पाकिस्तान के राष्ट्रपति ग़ायब हो गए।
बहुत अच्छे
अभी तक तो पाकिस्तान से सच्चाई, इंसानियत और शर्म ही ग़ायब हुई थी
अब महामहिम राष्ट्रपति भी ग़ायब हो गए…
लगे रहो पाकिस्तान भैया!
यही गति रही तो बहुत जल्द तुम पूरे ग़ायब हो जाओगे……

लापता जरदारी और मुशर्रफ़ की एंट्री

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी बुधवार की रात से लापता है, जिसका पता पाकिस्तानी मीडिया को भी नही चल पाया है।
वही दूसरी तरफ़ पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ़ का कहना है कि अगर पेशकश की गई तो वह दुबारा राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार है।
क्या इन दोनों बातो का कोई आपसी मेल हो सकता है अन्यथा यह सब तो जरदारी के मिलने के बाद ही पता चल सकता है.

रैगिंग का घातक परिणाम

भारत में रैगिंग के किस्से हर साल सामने आते है जिस कारण कई छात्रो की मौत हो जाती है। हाल में हुए हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में मेडिकल कॉलेज में 19 वर्षीय छात्र की रैगिंग से मौत हो गई। सूत्रों के मुताबिक छात्र के साथ मारपीट हुई जिससे उसकी मौत हो गई। यह सब कब तक चलता रहेगा और सरकार कोई ठोस कदम क्यो नही उठाती? क्या आगे आने वाले दिनों में जब फ्रेशेर्स का प्रथम सत्र आरम्भ होगा तब भी रैगिंग का खौफ इसी तरह बना रहेगा? सरकार को रैगिंग की रोक के लिए संविधान में कानून पास करना चाहिए जिससे रैगिंग को रोका जा सके।

गांधी की निशानियाँ

विजय माल्या राष्ट्रपिता की निशानियाँ ख़रीद कर लाए- एक ख़बर
सही बात है, उनको इस बात का बेहद दुख रहा होगा कि उनके इतने प्रयासों के बावजूद बापू की निशानियाँ बच कैसे गईं!

FRIEDA PINTO @ OSCARS

Oscar, the most awaited awards. "SLUMDOG MILLIONAIRE" The most talked about element today.Everybody wants to take away the credit bagged by it. And why not? why not ........after all it has picked on countably 8 Oscar awards during the ceremony.Since then, the counterparts of the movie, whether behind the scenes or on the golden screen.the pros n cons bout all are the much talked about thing today.

FRIEDA PINTO, who was an essential part of the movie, who helped in the making of it was present at the award function. Freida became a head-turner at award functions, Red carpet with her top-of-the-line dresses from Christian Lacroix haute couture, Oscar de la Renta, Zac Posen, Moschino and Marchesa.It is being remarked, that she looked awefull.But my question is, is her dress worth talking about at the kitty parties, association meets, get-to-gethers?what the lady has done for the country is simply commendable.but rewarding her with cheap ,down market , low standard comments on her dress is pathetic.It is required out of us to welcome the baggers with a warm welcome, and motivate the rest for similar such awards.Not with stupid remarks on those who performed.

चंदन की लकड़ी से कोयला बनाना....

भारत विश्व के उन मुट्ठी भर देशों में से एक है जिनके पास पर्यटन के दम पर अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए ज़रूरी समस्त संसाधन उपलब्ध हैं। हमारा लंबा, समृद्ध और गौरवमय इतिहास, हमारी सांस्कृतिक परम्पराएं, वैविध्यपूर्ण परिवेश, प्राकृतिक धरोहर और इन सबसे कहीं महत्वपूर्ण हमारे सहज जीवन में मौजूद अपनत्व और प्यार। हमारी लोककलाएं और यहाँ तक कि हमारे धार्मिक अनुष्ठान भी अपनी वैज्ञानिकता और लालित्य के कारण विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम हैं। संसार की सबसे प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष आज तक हमारे पास मौजूद हैं। विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय देवता गौतम बुद्ध के जीवन के प्रमाण हमारे देश में मौजूद हैं। मुग़ल काल की स्थापत्य कला को देखने के लिए कोई भी सौन्दर्य-प्रेमी मीलों की यात्रा करने को तैयार रहता है। कृष्ण, जो कि लोकप्रियता के चरम पर हैं उनका पूरा जीवन हमारी धरती पर ही बीता। भारतीय खान-पान अपनी विविधता के लिहाज से विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य के जितने भी रूप हो सकते हैं, वे सभी हमारे मुल्क़ में देखने को मिलते हैं। और भी न जाने कितने संसाधनों से युक्त है हमारा देश भारत!
लेकिन इतने सब के बाद भी हम पर्यटन उद्योग में बहुत पिछ्ड़े हुए हैं और सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे छोटे-छोटे मुल्क़ जिनके पास ऐतिहासिक धरोहरों के नाम पर कुछ भी नहीं है वे पर्यटन के दम पर अपना देश चला रहे हैं। किसी शायर ने कहा है ना-
तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन
तुम्हें ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें ख़तरे का अंदाज़ा है लेकिन
हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है।

बापू की धरोहर की नीलामी

महात्मा गाँधी जिन्हें हम बापू के नाम से जानते है, जिन्हें भारत में राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है आज उन्ही की धरोहर की नीलामी न्यूयार्क में होने जा रही है। भारत सरकार क्या इस नीलामी रोकने में सफल हो पाएगी या बापू की इस धरोहर का तमाशा बनते देखेगी। असल में देखना यह है कि भारतीय जनता और खासतौर पर युवा पीढ़ी इस के खिलाफ़ आवाज़ उठाती है या नही। क्या बापू कि याद आज भी भारतवासियों में जिंदा है या नही? अगर भारतीय जनता एकजुट होकर न्यूयार्क कि नीलामी संस्था एंटीकोरम आक्शनर्स के खिलाफ़ शांतिपूर्वक ढंग से आवाज़ उठाए तो शायद यह नीलामी रोकी जा सकती है। साथ ही दुनिया को यह भी साबित किया जा सकता है कि भारत के लोग अपने बापू की अनमोल धरोहर को ऐसे ही किसी ओर के हाथ में बेच नही सकते।

हमारी दिल्ली

पहले शादियों के कारण दिल्ली की सडकों पर जाम लगा रहा जाम तो अब बोर्ड की परीक्षा के कारण। एक तरफ़ बच्चे भगवान से मांगते है कि पेपर अच्छा आए तो दूसरी तरफ़ अभिवावक मानते है कि कहीं जाम न मिले। कहीं आधे-अधूरे सेतु, तो कहीं जर्जर सड़कें। क्या यही वह दिल्ली है जो सन् 2010 में विदेशी महमानों का स्वागत करने जा रही है।

दुनिया में फैलता आतंकवाद

अब तक आतंकवादी पीछे से वार करते आए थे लेकिन मुंबई हमले के बाद आतंकवादियों के होसले इतने बुलंद हो गए है कि पीछे की जगह सामने से वार करने लगे है। हाल ही में हुए श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुए हमले ने साबित कर दिया कि पाकिस्तान दुनिया के लिए सुरक्षित नहीं है। अगर यह सब भारत के साथ होता तो इसका परिणाम आपसी दुश्मनी निकलता लेकिन श्रीलंकाई टीम पर हुए हमले से यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का केन्द्र बन चुका है और यह पुरी दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है।

पाकिस्तान: तालिबान के "साथ" या "विरुद्ध"

पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान की हुकूमत को लेकर पाकिस्तान का कहना है कि तालिबान ने उसके १२ हज़ार जवानों को अपने सिर्फ़ 3 हज़ार आंतकवादियों से मात देकर घाटी पर कब्ज़ा कर लिया है। देखने में तो ये सब एक सोची समझी साजिश लगती है जिसे पाकिस्तान ने बखूबी अंजाम दिया है। क्या तालिबान शासन इस तरह किसी देश में अपनी साख़ जमा सकता है? शायद नही, यह सब पाकिस्तान के साथ के बिना मुमकिन नही होगा। अगर पाकिस्तान का सच में तालिबानी शासन के साथ कोई सम्बन्ध नही तो वह तालिबान के खिलाफ़ कोई क़दम क्यो नही उठा रही? पाकिस्तान के फैसलों को देख कर तो लगता है कि पाकिस्तान जितना भी छिपा ले पर वह तालिबान को अपना पुरा सर्मथन दे रही है।
राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के विषय में सोच रही सरकार
सोचने की क्या जरुरत है गांधी परिवार को तो विरासत में सरकार मिलती है

भ्रष्टाचार में डूबता भारत

भारत देश जिसे आज़ाद करवाने के लिए कितने ही क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान देकर इस देश का नाम रोशन किया था, किन्तु आज के नेताओं ने अपनी करतूतों के कारण इस देश का नाम भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों में शामिल कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत के वर्ष २००८ के मानवाधिकार की रिपोर्ट पेश की है जिससे से साफ़ ज़ाहिर होता है की हमारे देश की क्या हालत है। "अमेरिकी विभाग का कहना है की भारत की पुलिस और सरकार के हर स्तर पर भ्रष्टाचार है"। कुछ हद तक यह बात सही भी है क्योंकि जातिगत भेदभाव और धर्म के नाम पर हिंसा, पुलिस द्वारा लोगो पर लाठी चार्ज, रिश्वतखोरी, बलात्कार आदि जैसी घटनाए भारत आए दिन भारत में देखने को मिलती है। जहा भारत का नाम विकास की ओर अव्वल होना चाहिए था, वही भ्रष्टाचार के कारण भारत का नाम उन देशो में जा रहा है जो भ्रष्टाचार जैसे कामो के लिए मशहूर है।

We should

Whom we blame for Indians deaths in Gujarat riot.
Whom we blame for such big unemployment.
Whom we blame for Naxelide in Orisa.
So the main thing is why we only blame?
Why we can't find reasons for blames?

ड्राइविंग टेस्ट या रिश्वतखोरी

ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेन्ट ने ड्राइविंग टेस्ट में जो प्रक्रिया शुरू की है क्या वो सफल हो पाएगी, मेरी मत अनुसार शायद नही। विडियोग्राफी क्या रिश्वत्खोरियो को उनके कुकर्मो से रोक पाएगी? रिश्वतखोर अपना रास्ता कही से भी निकाल लेते है, तो क्या ये नई तकनीक इन रिश्वतखोरों के मार्ग में बाधा बन पाएगी।
सोना महंगा होने से क्या होता है सोना तो बहुत बड़ी चीज है आज तो दाल भी महंगी हो गयी है सच में महंगी पड़ी कांग्रेस

CHANGING CONCEPT OF BREAKING NEWS

yesterday Shah Rukh Khan underwent a shoulder surgery in Breach Candy Hospital of Mumbai and this was the BREAKING NEWS for all hindi news channels.All hindi news channels were showing the same news.This shows that our media has forgotten the meaning of BREAKING NEWS.News is something that affects our life in some or the other way but Shah Rukh Khan's surgery has nothing to do with us.
The concept of BREAKING NEWS is changing day-by- day for our media.Breaking news is a story that is simply of wide interest to viewers and has little impact otherwise.The term breaking news has come to replace the older use of news bulletin.Whether a live coverage is either a breaking news story,a developing news story or both,media use the term breaking news all the time.
Every news is a breaking news for media.Breaking News label is no longer helpful to viewers trying to determine the value of what's on the news so it is the primary duty of media to realise the importance and meaning of BREAKING NEWS.

ट्वेंटी ट्वेंटी चैम्पियन: भारत

भारत के खिलाडियों ने श्रीलंका को हराकर एक बार फिर यह साबित कर दिया की वह ट्वेंटी ट्वेंटी के विजेता है। ऑस्ट्रेलिया से हुई हार के बाद एक बार तो ये लगा की शायद टीम इंडिया ट्वेंटी ट्वेंटी मे कमजोर पढ़ गई लकिन कल की जीत ने यह साबित कर दिया की इंडियन टीम अभी भी ट्वेंटी ट्वेंटी चैम्पियन है। यह जीत आने वाले वर्ल्ड कप ट्वेंटी ट्वेंटी में भी मायने रखती है। ट्वेंटी ट्वेंटी वर्ल्ड कप जो इस साल शुरू होने वाला है, देखने में तो टीम इंडिया का ही पलडा भारी दिख रहा है। यह जीत भारत के लिए तो मायने रखती है, लकिन इस जीत बाद क्या इंडियन टीम आने वाले वर्ल्ड कप में वही प्रदर्शन दिखा पाएगी जो अभी है। यह सब तो इंडियन टीम की प्रेक्टिस के ऊपर आधारित होगा, कि वह आगे क्या प्रदर्शन कर दिखाएगी

नवजात की हत्या

भारत मे नवजात शिशुओ की हत्या के मामले बढते जा रहे है। हाल ही मे हुआ भोपाल हादसे को ही देख लो किस तरह माँ-बाप ने अपने नवजात बच्ची को ७० फीट की खाई मे गेर दिया। भारत जैसे सांस्कृतिक देश जहा बच्चो को भगवान का रूप माना जाता है, आज वही उन्हें मारा जा रहा है। हमारे समाज की बरसो पुरानी प्रथा चली आ रही है की लड़कियों को लड़को से निम्न समझा जाता रहा है, और इस कारण नवजात बच्चियों की हत्या की जा रही है। आज भारत ने चाहे कितनी ही प्रगति क्यो न कर ली हो लकिन वह इस पाप को नही रोक सका। जिस देश मे बच्चो को भगवान का रूप माना जाता है वही पर उनकी हत्या की जा रही है। इस पाप को बढ़ावा देने वाले और कोई नही ख़ुद बच्चो के माँ-बाप और समाज है जो ऐसी घटिया हरकत करते है। अगर यही हमारे देश का हाल रहा, इस कारण हमारा आने वाला कल किसी खतरे से कम नही होगा।

VALENTINE WEEK

the month of feburary is celebrated with joy,especially by youths.7th feb is celebrated as the rose day,8th as the propose day,9th as the chocolate day,10th as the teddy day,11th as the promise day,12th as the kiss day,13th as the hug day,14th as the valentines day,16th as the slap day,17th as the kick day,18th as the perfume day,19th as the confession day, 20th as the missing day.all these days are celebrated like festivals.companies popularise these days because they want to make money ouy of it.youths purchase costly cards for their beloved and hence the companies make good profit.i think that every day is a special day for those who really love some one.

दिल्ली के स्कूलों में फीस की वृद्धि

दिल्ली के स्कूलों ने फीस में वृद्धि कर दी है। जो फीस एक महीने पहले तक 4000 रुपये थी वह आज वह 10000 हो गई है। इसका असर बच्चों के अभिभावकों पर पड़ रहा है। यदि शिक्षा इतनी महंगी हो जाएगी तो देश में हर किसी के पढ़ने का सपना शायद सपना ही रह जाए। चाहे हमारा देश कितनी ही तरक्की क्यूँ न कर ले, पर शिक्षा के क्षेत्र में हम दुनिया से पीछे ही रह जाएंगे। शिक्षा न मिलने के कारण ही हमारे देश में कई सामाजिक समस्याएं हैं, जैसे बेरोज़गारी और बाल मज़दूरी आदि। यदि हम शिक्षा को सस्ता करेंगे तो देश का विकास होगा।

SLUMDOG MILLIONAIRE -UNNECESSARY HYPE

Slumdog Millionaire is nothing but a advanced mediocre version of those commercial films about seperated brothers and childhood sweethearts that Salim-Javed used to write in the 1970's.
This movie is over valued and is given excess importance.
International viewers loved this movie because it has so much of slum areas of India in it. Also they think that this is the real india. They consider india is a very poor country. Western film makers adopt the themes of poverty and unemployment in their movies in a very wrong manner so that at the international level when the movie is released the other people who don't know about our country get a wrong image of India, which is not affordable.
This movie has received Golden Global Awards and I think that is the total ignorance of our film industry.

मेट्रो स्टेशन बदलते जा रहे है

दिल्ली के मेट्रो स्टेशन बदलते जा रहे है जोडो के मिलने के स्थान में आज यदि देखा जाए तो दिल्ली के मेट्रो स्टेशन लड़की लड़को के मिलने की जगह होते जा रहे है, वह वहां आ कर बैठ जाते है और जब उनके निकलने का समय होता है तो घर चले जाते है क्योकि बहार निकलने के लिए २ घंटे का समय मिलता है, इस शेत्र में मेट्रो करम्चारियो को कुछ करना चाहिए।

कितनी सुरक्षित दिल्ली मेट्रो

६ फरवरी को मेट्रो मे हुई घटना ने यह साबित कर दिया की मेट्रो मे सुरक्षा का कितना इंतिजाम किया गया है। मेट्रो गार्ड सत्येन्द्र कुमार जिस तरह से राजीव चौक से नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन तक मेट्रो से लटकते हुए गए है, दिल्ली मेट्रो के पास इस गलती के लिए क्या जवाब है। इस घटना का कारण मेट्रो के दरवाजो का सेंसर ख़राब बताया जा रहा था। परन्तु इस चूंक से गार्ड की जान जा सकती थी। मेट्रो जिसकी सुरक्षा पर दिल्ली निवासियो को विश्वास था क्या वही विश्वास मेट्रो फिर से अपने लिए बना पाएगी। आज जब मै ख़ुद मेट्रो का सफर कर रही थी तब मैंने कुछ लोगो को इस घटना के पता होने के बाद डरा हुआ पाया। मेट्रो की इस खराबी से एक इंसान की जान जा सकती थी, जबकि वह घायल ख़ुद मेट्रो का गार्ड था। पहले तो आतंकी हमले का सवाल था, पर अब मेट्रो की ख़ुद की ही सुरक्षा पर यह सवाल है की मेट्रो कितनी सुरक्षित है, जिस कारण कल एक इंसान घायल हो गया।
एल के अडवाणी ने अपना प्रचार सभी अखबारों में किया
यदि कोई काम किया होता तोह शायद इसकी जरुरत नही होती

पार्क में कौन सा खेल ?

जब हम पार्क में जाते है तो ज्यादातर हम देखते है की पार्क में बच्चे खेल रहे होते है वन्ही दूसरी तरफ यह भी देखते है की वहा kapel जरूर होते है jineh देख हम कुछ न कुछ कह देते है
ager कोई आदमी अपनी family के साथ आया है तो उसे यह देख ker थोड़ा aajib sa लगेगा (ये क्या ker रहे है, ineh ऐसा नही करना चाहिए इससे baccho per बुरा prabhav padega)our agli bar आने से pahle थोड़ा sochega ,prantu ager vo उस समय aakela होता yaa अपनी bibi या किसी our के साथ होता तो vahe इस बात per jaara sa भी dhyan नही देता ऐसा क्यों ?ऐसा इसलिए kuonki कमी उनके ander है वे अपने को नही देखते blki doosare per ungali uthate है

kapel जब पार्क में जाते है तो अपने घर या अपने area से दूर किसी akant में मिलते है,जिससे उनको कोई pareshaan न करे ,per voye क्यों नही सोचते की वह area भी तो उनके देश का ही hissaa है jahan per बच्चे yaa बड़े busurg होंगे
आज हम सब का जो najariya है vo की जब कोई kadka या लड़की साथ चल रहे होते है तो हम सोचते है की ये जरूर kapel होंगे क्यों ?
रही बात kanoon की तो, ajkal hamre देश में एक word बहुत प्रचलित है("kanoon तो todane के लिए होते है ") per हमारे IPC की धारा 249k tehet pablic place में ashlile harkate करने per pratibanth है न की साथ baidhne में ,साथ चलने में या साथ बात करने मेंour ladke - ladikiya को भी अपनी aabru का khya रखना chahiy की कोई unper ungali न उठा सके

धर्म के नाम पर राजनीति का खेल

आज के अखबार मे जब मैंने कल्याण सिंह के बारे मे उनकी नैतिक जिम्मेदारियों को पड़ा तो ऐसा आभास हुआ मानो धर्म के नाम पर राजनीति का व्यापार चल रहा है। कल्याण सिंह जो पहले बीजेपी कार्यकर्ता हुआ करते थे उनके अनुसार उन्होंने अपने कार्यकाल मे मुस्लिम समुदाय का आशवासन जीता था। उन्हें जब यूपी मुख्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया गया तब उन्होंने बीजेपी छोड़ मुलायम जी से हाथ मिला लिया, जहा उनके अनुसार उन्हें हिन्दुओ का आशवासन प्राप्त हुआ। उनका कहना है की मुसलमानों की तरह उनका मकसद बीजेपी को दफ़न करना है। तो क्या यह आशवासन अपनी राजनीति को बचाए रखने के लिए प्राप्त किया था। यह तो धर्म के नाम पर खिलवाड़ है। किसी मजहब की लड़ाई राजनीति या सता के साथ नही होती। धर्म के लिए की गई सेवा निस्वार्थ भाव से की जाती है, स्वार्थ से नही।

media' role

in today's news paper i read a new of a 6 yr old girl brutaly beaten up by police for stealing Rs 280, media covered the event and video was shown to the people now a few people say that media people just keeps on covering the deadly events and sees the people even dieing in front of them, people say that media should stop them, from doing harm to themselfs but in my view media has the responsibility to inform people not to react. if media persons will leave the camera and pen and just will keep on stoping the people from doing some harmful or any other things then media will not survive and journalists are responsible people, i think that they definately help people of being aware and responsibe towards sensitive issues.and thus unites the people of the country towards a good cause. journalists are not responsible for stoping anyone... where the protecters of people "police" is being brutal then no one can really blame media , for saving lifes...
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