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वरुण का नामांकन पत्र

पीलीभीत से कथित सांप्रदायिक भाषण देने वाले वरुण गाँधी १५ दिनों के लिए जेल से तो छूट गए
लेकिन अब वो भाजपा में नामांकन के लिए पत्र भरेगे।

क्या देश की सरकार के लिए ऐसे उम्मीदवारों का खड़ा होना कहा तक सही है,
जो चुनाव से पहेले ही सांप्रदायिक भाषण दे रहे है वो जीतने के बाद क्या रंग दिखाएगे।
अब से अपना गुस्सा प्रकट करने का नया तरीका
सामने वाले को जूता उठा कर मारो गुस्सा भी उतर गया और नाम भी रोशन हुआ
हमारे सभी नेता बे-कार

देश में नए कर्जदार

देश में नए कर्जदार पैदा हो रहे है वे जो नैनो खरीदने के लिए कर्ज ले रहे है और वे लाचार जो सिर्फ़ इसलिए कर्ज ले रहे है कि बच्चो की बड़ी फीस जमा कर सके

बीजेपी नेता नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह कांग्रेस को १२५ साल की बुढ़िया कहा उस से तो साफ ज़ाहिर होता है की वह अपनी पार्टी के सदस्यों को या फिर अपने आप को जवान समझते है, बुढा नही।

उनके ब्यान से कांग्रेस अब बुढ़िया हो गई है, लेकिन मोदी जी क्या कही से जवान दिखते है?

क्या करे चुनाव के कारण पता नही नेता जी क्या-क्या बोल पढ़ते है उन्हें ख़ुद पता नही होता।

जूता और पत्रकारिता जगत

एक ख़बर- दैनिक जागरण के पत्रकार जरनैल सिंह ने पी.चिदंबरम पर जूता
फ़्लैश-1 : अनेक संस्थाओं ने जरनैल के लिये आर्थिक पुरस्कार घोषित किये
फ़्लैश-2 : दैनिक जागरण ने कहा कि जरनैल के ख़िलाफ़ अनुशासानत्मक कार्रवाई की जाएगी
फ़्लैश-3 : चिदंबरम ने जरनैल को माफ़ किया
फ़्लैश-4 : टाइटलर और सज्जन कुमार का टिकट ख़तरे में
फ़्लैश-5 : आई बी एन सेवन समेत अनेक टी वी चैनलों ने जरनैल की हरक़त को शर्मनाक बताया
फ़्लैश-6 : जरनैल ने माफ़ी मांगी
फ़्लैश-7 : जरनैल के जूते की क़ीमल 5 लाख तक लगाई गई

सबक-1 : पत्रकारिता पाठ्यक्रमों में जूता फेंकने का प्रशिक्षण सम्मिलित किया जाना चाहिये।
सबक-2 : पत्रकारों को अपने संस्थान से यह उम्मीद नहीं करनी चाहिये कि कोई मुसीबत पड़ने पर पत्रकार समाज उनके साथ खड़ा होगा।
सबक-3 : चुनाव के समय किसी भी नेता को कुछ कहा जाए तो माफ़ी बिना मांगे ही मिल जाएगी।
सबक-4 : राजस्थानी की एक कहावत है- सांडन की लड़ाई में झाड़न का नास होय!
सबक-5 : टी वी चैनलों के पत्रकार आईना नहीं देखते
सबक-6 : मरता क्या न करता!
पहेली-7 : क़लम बड़ी या जूता?

तकरार और आरोप

वरुण मसले में मेनका गाँधी और मायावती की इन दिनों तकरार देखने को मिल रही है
दोनों एक दुसरे के ऊपर आरोपो की बौछार लगा रहे है।
देखने में तो यह सब आम सा लग रहा है, लेकिन असल में तो यह राजनीति के मैदान में जीतने की एक बहस है।

कर्तव्य और घोषणापत्र

बीजेपी का घोषणापत्र-अयोध्या राम मन्दिर को बनवाने का संकल्प
अब तक ऐसे ही कितने संकल्प लिए कभी मन्दिर तो कभी मस्जिद
कभी भारतीय नागरिको की जरुरत को समझ पाई
बीजेपी को तो बस मन्दिर-मस्जिद को बनवाने और तोड़ने का ही कम रह गया है।

छा गई नैनो

हर व्यक्ति की इच्छा को धयान में रखते हुए टाटा मोटर्स ने नैनो को मार्केट में लाई है, जो आज काफी प्रचलित हो गई है।
कुछ समय बाद तो सब्जी वालो का सपना साकार होने वाला है, जब वो भी कार में बैठकर अपना काम-धंधा करेगे।

वरुण गांधी बनाम जानवर

मेरे साथ जेल में जानवरों जैसा बर्ताव हुआ- वरुण गांधी

चलो ठीक ही हुआ, अब मेनका जी आपके संरक्षण के लिए अभियान चला सकती हैं!

नोट नही मदद बाटी जसवंत सिंह

ये मदद आप लोगो को मतदान से पहले ही याद क्यों आती है

४० बड़े नेता आतंकी निशाने पर
आज तो पूरा विश्व आतंकी निशाने पर है तो ४० नेता कौन सी बड़ी बात है
वरुण की सुरक्षा को खतरा
पहले ये बताइए कि आज की तारीख में किसकी सुरक्षा को खतरा नही है

भीड़ से बचने को राहुल भागे

सर अभी से ही भीड़ से भागना शुरू कर दिया तो आगे चल कर जीतने के बाद तो भीड़ से बचने के लिए इटली ही चले जायेगे जनता को अभी से सावधान हो जन चाहिए

भड़काऊ भाषण और वोट मांगते नेता

चुनाव के आते ही हर नेता का भाषण और घर-घर जाकर वोट मांगने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी जो अपने मत की अहमियत ही कम समझ ते है, नेताओ के भड़काऊ भाषण की गिरफ्त में आ जाते है।
आज हर भारतीय नागरिक को जागरूक होने की जरुरत है, खासकर युवा पीढ़ी को। अपना मत न तो भड़काऊ भाषण और न ही घर पर आए भीख मांगते हुए नेता को दे।
एक गलत नेता के कारण सबका भविष्य तो बर्बाद होगा ही और साथ ही पूरे देश को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

गुड्डू पंडित ने वोटरों को धमकाया

कोई नई बात नही है ये तो सता में रहने वाले हर व्यक्ति को करना पड़ता है

आंतक का पक्ष

अंजलि वाघमारे का नाम तो हम सब को न्यूज़ चैनल और अखबारों में देखने को मिलेगा क्योंकि इनका कारनामा ही कुछ ऐसा है। इन्होंने एक भारतीय होकर आंतकवादी की वकालत का जो फैसला लिया उससे भारतीय नागरिको के ज़ख्म तो हरे हो गए और साथ ही भारतीय का निवासी होकर आंतकवादी के पक्ष में लड़ के फैसले से लोगो की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। मुंबई हमले में जब उस आंतकवादी कसाब ने हजारो की तादाद में लोगो की हत्या करी थी, उस दिल-दहला देने वाले हमले के बाद क्या कोई गुंजाइश रह जाती है कि कसाब को किसी वकील की जरुरत है? यह सरासर आंतक को दिया जाने वाला बढावा है कि कोई भी आंतकवादी भारत पर हमला करके पकड़ा जाए तो उसके बचाव के लिए जिस देश पर हमला किया हो वही का वकील उसकी वकालत के लिए दिया जाए। जनता द्वारा इसका विरोध करना जायज़ है।
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