इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी विचारों के लिये लेखक स्वयं उत्तरदायी है। संपादन मंडल का लेखक की राय से सहमत होना अनिवार्य नहीं है। -संपादक

वरुण गांधी प्रकरण

वरुण गांधी प्रकरण को सुनने के बाद
मुझे मेनका गांधी की ग़लती बहुत साल रही थी
क्योंकि जब वरुण को बोलने की तमीज़ सिखानी थी
तब मेनका जी कुत्ते-बिल्ली पाल रही थी
अब उनके पाले हुए जंतु तो राजनीति कि गलियों में
मस्ती से डोल रहे हैं
औए बेचारे वरुण
संस्कारों के अभाव में
पशुता की भाषा
बोल रहे हैं
ऐसा लगता है कि हम लोग भविष्य को लेकर चिंतित नही है तब ही तो शनिवार रात ८:३०-९:३० के बीच भी दिल्ली कि जगमगाहट में कमी नही आई
नवसंवत आपके द्वार आ खड़ा हुआ है परन्तु आज का युवा उसे भुला चुका है १ जनवरी को मनाया जानी वाला नव वर्ष सबको याद है परन्तु अपना नव वर्ष किसी को याद नही है लेकिन फिर भी आप सभी को विक्रमी संवत २०६६ की शुभकामना इस आशा से की यह वर्ष देश को स्वस्थ और स्थायी केंद्र सरकार दे भारत और विश्व दोनों को मंदी की छाया से मुक्त कर जाए

चुनावी असर

चुनाव के निकट आने से सबसे ज्यादा असर जनसंचार के माध्यमो पर दिख रहा है। हर रोज अखबार बीजेपी और कांग्रेस की खबरों से भरा हुआ दिखता है तो कही उनके विज्ञापन से। रेडियो पर भी इन्ही पार्टियों का बोलबाला है। और दूरदर्शन और टीवी चैनल्स पर तो इनकी डॉक्युमेंटरी फ़िल्म प्रचार के रूप में देखने को मिलती है। यह सब काम के लिए नेताओ के पास बढ़ा धन है लेकिन जनता और समाज कलयाण के लिए जनता का ही पैसा खर्च करने में पीछे हट जाते है।

अब ऑनलाइन अपराधी भी कानून के शिकंजे में

साइबर क्राइम से जुड़े इन्टरनेट का दुरूपयोग करने वालो को सबक सिखाने के लिए संविधान के आईटी एक्ट संशोधन के तहत अपराधियों को दंड दिया जाएगा। पहले डीएसपी लेवल के अधिकारी ही इस एक्ट से जुड़े थे अब इंसपेक्टर लेवल भी जुड़ गया है। इस संशोधन के अंतर्गत अपराधियों को उम्रकैद तक हो सकती है। साइबर क्राइम को कुछ हद तक रोकने में क्या पुलिस सफल हो पाएगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

निगम के अधिकारी घूस लेते गिरफ्तार

कुछ तो गिरफ्तार हो गए बाकि तो अभी भी सरे आम लाखो रुपये की रिश्वत ले रहे है उनकी बारी कब तक आएगी

वरुण गाँधी पर लोगो को रूपये बाटने का आरोप

वरुण ने सोचा होगा कि जनता का पैसा जनता तक पहुँचा देना चाहिए

सपा ने कहा वरुण पर अडवाणी की पार्टी का असर है

यह भी बता दे की आप पर किस का असर है

बाल विकास में असफल भारत

भारत ने अर्थवयवस्था में कितनी ही बढ़त क्यो न क्यो न कर ली हो लेकिन बच्चो के विकास के प्रति कोई ठोस कदम नही उठाया। भारत में कई गांव और ईलाकों में बच्चो पर कई तरह से अत्याचार किए जा रहे है:-
  • 14 साल से कम आयु के बच्चो से कम वेतन पर मजदूरी ली जाती है जिससे बच्चो का बचपन उनसे छिनता जा रहा है और वह अपनी शिक्षा से दूर होते जा रहे है,
  • कम उम्र में बच्चो का विवाह किया जा रहा है और इस साल की यूनिसेफ की रिपोर्ट ने जाहिर किया है की भारत बाल विवाह का केंद्र है।
  • बच्चो का शोषण किया जा रहा है, उनसे उनके अधिकार छीने जा रहे है।
  • नवजात बच्चो खासकर लड़कियों को कई बार जन्म से पहले तो कई बार जन्म के बाद मौत के घाट उतार दिया जाता है।

इन कारणों के कारण भारत बाल विकास में पिछडा हुआ है। आर्थिक, सामाजिक, राजनातिक विकास के अलावा भारत को बाल विकास की ओर धयान देने की जरुरत है। बच्चो के विकास में ही इस देश की सफलता है क्योकि आने वाली पीढी की रक्षा करना देश का कर्तव्य और धर्म है।

भाषण के 100 रुपए

चुनाव आने से पहले तो नेताजी के कई वायदे होते है लेकिन क्या है कि वह एक छल-कपट होता है जो जनता के साथ किया जाता है। पर अब तो नेताजी का भाषण सुनने पर 100 रुपए दिए जा रहे है। हालाकि यह सब आम जनता के लिए काफ़ी कम है लेकिन चलो अच्छा है कि कम से कम उन्होंने कभी तो जनता के लिए सोचा।

धारावाहिकों में बहती कुरीतियों की धारा

टेलिविज़न धारावाहिकों में पिछ्ले कुछ समय से अचानक राजस्थान और गुजरात के प्रति प्रेम प्रदर्शन की परंपरा बनने लगी है। सात फेरे में राजस्थानी, घर की लक्ष्मी बेटियाँ में गुजराती और बालिका वधू में राजस्थानी परिवारों का 'असत्य चित्रण' करने के बाद अब हरियाणा के 'वीरपुर' को भुनाने की शुरुआत हुई है। मज़े की बात ये है कि सांस्कृतिक संपन्नताओं के इस देश में ऐसा कुछ भी हमारे निर्माताओं को नहीं मिला जिस पर गर्व किया जा सके।
कभी-कभी तो ऐसा लगने लगता है कि ये देश 'कुरीतियों का देश' है। ये सच है कि हमारे समाज में आज भी अनेक कुरीतियाँ मौजूद हैं, लेकिन क्या उनका इस प्रकार भौंडा प्रदर्शन देश की अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता।
आर्थिक, सामरिक, सामाजिक और राजनैतिक संकटों के इस भयावह दौर में क्या हमारा कर्तव्य यह नहीं है कि हम अपने घर की समस्याओं का ढिंढोरा पीटने की बजाय उनको हल करने का प्रयास करें। यहाँ यह बात विशेष रूप से ध्यातव्य है कि इन धारावाहिकों के निर्माताओं का इन कुरीतियों से इतना ही सरोकार है कि इन कुरीतियों को बेचकर पैसा कमाना इन्हें आसान जान पड़ता है।

पाक के बड़ते सवाल

26/11 मुंबई हमले में पाकिस्तान ने भारत से 30 सवाल पूछे थे, जिनका जवाब भारत के विदेश मंत्री ने दे दिया है। भारत ने पाकिस्तान से 19 आतंकवादी की मांग की थी, जिस पर पाकिस्तान ने भारत से 30 सवालो का जवाब पूछा था। अब पाकिस्तान भारत की मांग को टालने के लिए कौन सी नई तरकीब पेश करेगा। पाकिस्तान के हालात को देखकर तो यह लगता है कि वह कार्यवाही की जगह उल्टा भारत पर इल्ज़ाम ही थोपेगा।

आग़ाज़

सुना है पाकिस्तान के राष्ट्रपति ग़ायब हो गए।
बहुत अच्छे
अभी तक तो पाकिस्तान से सच्चाई, इंसानियत और शर्म ही ग़ायब हुई थी
अब महामहिम राष्ट्रपति भी ग़ायब हो गए…
लगे रहो पाकिस्तान भैया!
यही गति रही तो बहुत जल्द तुम पूरे ग़ायब हो जाओगे……

लापता जरदारी और मुशर्रफ़ की एंट्री

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी बुधवार की रात से लापता है, जिसका पता पाकिस्तानी मीडिया को भी नही चल पाया है।
वही दूसरी तरफ़ पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ़ का कहना है कि अगर पेशकश की गई तो वह दुबारा राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार है।
क्या इन दोनों बातो का कोई आपसी मेल हो सकता है अन्यथा यह सब तो जरदारी के मिलने के बाद ही पता चल सकता है.

रैगिंग का घातक परिणाम

भारत में रैगिंग के किस्से हर साल सामने आते है जिस कारण कई छात्रो की मौत हो जाती है। हाल में हुए हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में मेडिकल कॉलेज में 19 वर्षीय छात्र की रैगिंग से मौत हो गई। सूत्रों के मुताबिक छात्र के साथ मारपीट हुई जिससे उसकी मौत हो गई। यह सब कब तक चलता रहेगा और सरकार कोई ठोस कदम क्यो नही उठाती? क्या आगे आने वाले दिनों में जब फ्रेशेर्स का प्रथम सत्र आरम्भ होगा तब भी रैगिंग का खौफ इसी तरह बना रहेगा? सरकार को रैगिंग की रोक के लिए संविधान में कानून पास करना चाहिए जिससे रैगिंग को रोका जा सके।

गांधी की निशानियाँ

विजय माल्या राष्ट्रपिता की निशानियाँ ख़रीद कर लाए- एक ख़बर
सही बात है, उनको इस बात का बेहद दुख रहा होगा कि उनके इतने प्रयासों के बावजूद बापू की निशानियाँ बच कैसे गईं!

FRIEDA PINTO @ OSCARS

Oscar, the most awaited awards. "SLUMDOG MILLIONAIRE" The most talked about element today.Everybody wants to take away the credit bagged by it. And why not? why not ........after all it has picked on countably 8 Oscar awards during the ceremony.Since then, the counterparts of the movie, whether behind the scenes or on the golden screen.the pros n cons bout all are the much talked about thing today.

FRIEDA PINTO, who was an essential part of the movie, who helped in the making of it was present at the award function. Freida became a head-turner at award functions, Red carpet with her top-of-the-line dresses from Christian Lacroix haute couture, Oscar de la Renta, Zac Posen, Moschino and Marchesa.It is being remarked, that she looked awefull.But my question is, is her dress worth talking about at the kitty parties, association meets, get-to-gethers?what the lady has done for the country is simply commendable.but rewarding her with cheap ,down market , low standard comments on her dress is pathetic.It is required out of us to welcome the baggers with a warm welcome, and motivate the rest for similar such awards.Not with stupid remarks on those who performed.

चंदन की लकड़ी से कोयला बनाना....

भारत विश्व के उन मुट्ठी भर देशों में से एक है जिनके पास पर्यटन के दम पर अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए ज़रूरी समस्त संसाधन उपलब्ध हैं। हमारा लंबा, समृद्ध और गौरवमय इतिहास, हमारी सांस्कृतिक परम्पराएं, वैविध्यपूर्ण परिवेश, प्राकृतिक धरोहर और इन सबसे कहीं महत्वपूर्ण हमारे सहज जीवन में मौजूद अपनत्व और प्यार। हमारी लोककलाएं और यहाँ तक कि हमारे धार्मिक अनुष्ठान भी अपनी वैज्ञानिकता और लालित्य के कारण विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम हैं। संसार की सबसे प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष आज तक हमारे पास मौजूद हैं। विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय देवता गौतम बुद्ध के जीवन के प्रमाण हमारे देश में मौजूद हैं। मुग़ल काल की स्थापत्य कला को देखने के लिए कोई भी सौन्दर्य-प्रेमी मीलों की यात्रा करने को तैयार रहता है। कृष्ण, जो कि लोकप्रियता के चरम पर हैं उनका पूरा जीवन हमारी धरती पर ही बीता। भारतीय खान-पान अपनी विविधता के लिहाज से विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य के जितने भी रूप हो सकते हैं, वे सभी हमारे मुल्क़ में देखने को मिलते हैं। और भी न जाने कितने संसाधनों से युक्त है हमारा देश भारत!
लेकिन इतने सब के बाद भी हम पर्यटन उद्योग में बहुत पिछ्ड़े हुए हैं और सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे छोटे-छोटे मुल्क़ जिनके पास ऐतिहासिक धरोहरों के नाम पर कुछ भी नहीं है वे पर्यटन के दम पर अपना देश चला रहे हैं। किसी शायर ने कहा है ना-
तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन
तुम्हें ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें ख़तरे का अंदाज़ा है लेकिन
हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है।

बापू की धरोहर की नीलामी

महात्मा गाँधी जिन्हें हम बापू के नाम से जानते है, जिन्हें भारत में राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है आज उन्ही की धरोहर की नीलामी न्यूयार्क में होने जा रही है। भारत सरकार क्या इस नीलामी रोकने में सफल हो पाएगी या बापू की इस धरोहर का तमाशा बनते देखेगी। असल में देखना यह है कि भारतीय जनता और खासतौर पर युवा पीढ़ी इस के खिलाफ़ आवाज़ उठाती है या नही। क्या बापू कि याद आज भी भारतवासियों में जिंदा है या नही? अगर भारतीय जनता एकजुट होकर न्यूयार्क कि नीलामी संस्था एंटीकोरम आक्शनर्स के खिलाफ़ शांतिपूर्वक ढंग से आवाज़ उठाए तो शायद यह नीलामी रोकी जा सकती है। साथ ही दुनिया को यह भी साबित किया जा सकता है कि भारत के लोग अपने बापू की अनमोल धरोहर को ऐसे ही किसी ओर के हाथ में बेच नही सकते।

हमारी दिल्ली

पहले शादियों के कारण दिल्ली की सडकों पर जाम लगा रहा जाम तो अब बोर्ड की परीक्षा के कारण। एक तरफ़ बच्चे भगवान से मांगते है कि पेपर अच्छा आए तो दूसरी तरफ़ अभिवावक मानते है कि कहीं जाम न मिले। कहीं आधे-अधूरे सेतु, तो कहीं जर्जर सड़कें। क्या यही वह दिल्ली है जो सन् 2010 में विदेशी महमानों का स्वागत करने जा रही है।

दुनिया में फैलता आतंकवाद

अब तक आतंकवादी पीछे से वार करते आए थे लेकिन मुंबई हमले के बाद आतंकवादियों के होसले इतने बुलंद हो गए है कि पीछे की जगह सामने से वार करने लगे है। हाल ही में हुए श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुए हमले ने साबित कर दिया कि पाकिस्तान दुनिया के लिए सुरक्षित नहीं है। अगर यह सब भारत के साथ होता तो इसका परिणाम आपसी दुश्मनी निकलता लेकिन श्रीलंकाई टीम पर हुए हमले से यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का केन्द्र बन चुका है और यह पुरी दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है।

पाकिस्तान: तालिबान के "साथ" या "विरुद्ध"

पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान की हुकूमत को लेकर पाकिस्तान का कहना है कि तालिबान ने उसके १२ हज़ार जवानों को अपने सिर्फ़ 3 हज़ार आंतकवादियों से मात देकर घाटी पर कब्ज़ा कर लिया है। देखने में तो ये सब एक सोची समझी साजिश लगती है जिसे पाकिस्तान ने बखूबी अंजाम दिया है। क्या तालिबान शासन इस तरह किसी देश में अपनी साख़ जमा सकता है? शायद नही, यह सब पाकिस्तान के साथ के बिना मुमकिन नही होगा। अगर पाकिस्तान का सच में तालिबानी शासन के साथ कोई सम्बन्ध नही तो वह तालिबान के खिलाफ़ कोई क़दम क्यो नही उठा रही? पाकिस्तान के फैसलों को देख कर तो लगता है कि पाकिस्तान जितना भी छिपा ले पर वह तालिबान को अपना पुरा सर्मथन दे रही है।
विजेट आपके ब्लॉग पर