इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी विचारों के लिये लेखक स्वयं उत्तरदायी है। संपादन मंडल का लेखक की राय से सहमत होना अनिवार्य नहीं है। -संपादक

हमारी दिल्ली

पहले शादियों के कारण दिल्ली की सडकों पर जाम लगा रहा जाम तो अब बोर्ड की परीक्षा के कारण। एक तरफ़ बच्चे भगवान से मांगते है कि पेपर अच्छा आए तो दूसरी तरफ़ अभिवावक मानते है कि कहीं जाम न मिले। कहीं आधे-अधूरे सेतु, तो कहीं जर्जर सड़कें। क्या यही वह दिल्ली है जो सन् 2010 में विदेशी महमानों का स्वागत करने जा रही है।

No comments:

विजेट आपके ब्लॉग पर