इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी विचारों के लिये लेखक स्वयं उत्तरदायी है। संपादन मंडल का लेखक की राय से सहमत होना अनिवार्य नहीं है। -संपादक
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चंदन की लकड़ी से कोयला बनाना....

भारत विश्व के उन मुट्ठी भर देशों में से एक है जिनके पास पर्यटन के दम पर अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए ज़रूरी समस्त संसाधन उपलब्ध हैं। हमारा लंबा, समृद्ध और गौरवमय इतिहास, हमारी सांस्कृतिक परम्पराएं, वैविध्यपूर्ण परिवेश, प्राकृतिक धरोहर और इन सबसे कहीं महत्वपूर्ण हमारे सहज जीवन में मौजूद अपनत्व और प्यार। हमारी लोककलाएं और यहाँ तक कि हमारे धार्मिक अनुष्ठान भी अपनी वैज्ञानिकता और लालित्य के कारण विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम हैं। संसार की सबसे प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष आज तक हमारे पास मौजूद हैं। विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय देवता गौतम बुद्ध के जीवन के प्रमाण हमारे देश में मौजूद हैं। मुग़ल काल की स्थापत्य कला को देखने के लिए कोई भी सौन्दर्य-प्रेमी मीलों की यात्रा करने को तैयार रहता है। कृष्ण, जो कि लोकप्रियता के चरम पर हैं उनका पूरा जीवन हमारी धरती पर ही बीता। भारतीय खान-पान अपनी विविधता के लिहाज से विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य के जितने भी रूप हो सकते हैं, वे सभी हमारे मुल्क़ में देखने को मिलते हैं। और भी न जाने कितने संसाधनों से युक्त है हमारा देश भारत!
लेकिन इतने सब के बाद भी हम पर्यटन उद्योग में बहुत पिछ्ड़े हुए हैं और सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे छोटे-छोटे मुल्क़ जिनके पास ऐतिहासिक धरोहरों के नाम पर कुछ भी नहीं है वे पर्यटन के दम पर अपना देश चला रहे हैं। किसी शायर ने कहा है ना-
तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन
तुम्हें ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें ख़तरे का अंदाज़ा है लेकिन
हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है।
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