इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी विचारों के लिये लेखक स्वयं उत्तरदायी है। संपादन मंडल का लेखक की राय से सहमत होना अनिवार्य नहीं है। -संपादक

महंगाई! महंगाई! महंगाई!

महंगाई ने अब तक किस हद को पार नही किया
पहले आटा, चावल, दाल, सब्जिया, फल यह सब तो महंगा हुआ ही साथ ही बिजली के दामो में बढ़त हो गई
और अब तो पानी के दामो को भी बढ़ाया जा रहा है अगले साल से
इन सब के दाम तो बढ़ा दिए सरकार ने लेकिन आमदनी का क्या वो कब बढ़ेगी?
ऐसे ही चलता रहा तो महंगाई के चलते बुख के साथ साथ प्यासा भी रहने की आदत डालनी पड़ेगी!

No comments:

विजेट आपके ब्लॉग पर