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यह बाप-बेटे में तनातनी की शुरुआत तो नहीं !!


भारतीय समाज की प्रवृति कुछ इस तरह की है जहां पिता अपने पुत्र को अपने जैसे मलाईदार पद पर देखना चाहता है. भारतीय राजनीति भी इससे अछूती नहीं है. भारत में राजनीति में परिवारवाद एक आम बात है. पिता के बाद पुत्र सत्ता की बागडोर संभाले इसका अपना ही इतिहास रहा है. राजनीति में परिवारवाद की परंपरा शुरू करने वाले कांग्रेस में आज इसलिए उत्साह और खुशी है क्योंकि नेहरू-गांधी परिवार के युवराज राहुल गांधी को परंपरा के मुताबिक वह जगह मिली है जिसके वह हकदार हैं. लेकिन कहीं न कहीं मन में यह संदेह भी उठता है कि क्या राहुल गांधी को पार्टी की बागडोर सौंपना पार्टी के हित में होगा?


आजकल इसी तरह की सोच उत्तर प्रदेश के क्षत्रप मुलायम सिंह यादव अपने मन में पाले हुए हैं. तभी तो जो काम उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टी बसपा और बीजेपी को करना चाहिए खुद मुलायम सिंह कर रहे हैं. वह उत्तर प्रदेश में जगह-जगह जाकर अपने पुत्र अखिलेश यादव की सरकार को सार्वजनिक रूप से नसीहत तो दे ही रहे हैं साथ ही कई तरह के सवाल भी उठा रहे हैं. उन्होंने पार्टी के कई बड़े नेताओं को जमकर लताड़ा. उन्होंने नौकरशाही के बेकाबू…… Read This Blog (Click Here)

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