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कहां गया ‘मद्रास टाइगर’ का वह पैनापन




भारत में शतरंज एक पारंपरिक खेल है. दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाने वाला यह बौद्धिक एवं मनोरंजक खेल आपके दिमाग की क्षमता को दर्शाता है. शतरंत की बिसात पर चली जाने वाली एक भी चाल आपको पलभर में विजेता भी बना सकती है या फिर खेल से बाहर भी कर सकती है. वर्तमान में भारत के इस पारंपरिक खेल को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अगर किसी खिलाड़ी को श्रेय जाता है तो वह हैं मद्रास टाइगरऔर विशीके उपनामों से प्रसिद्ध विश्वनाथन आनंद.

विश्वनाथ आनंद की शिक्षा
अपनी मां से शतरंज की बारीकियों को सीखने वाले विश्वनाथन आनंद का जन्म 11 दिसंबर, 1969 को तमिलनाडु के मायिलादुथुरै में हुआ. छह साल की उम्र से ही विश्वनाथन आनंद अपनी मां के साथ शतरंज की बिसात पर चालें चला करते थे. उनके पिता विश्वनाथन अय्यर दक्षिण भारतीय रेलवे के जनरल मैनेजर रह चुके हैं. आनंद ने चेन्नई

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