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टेस्ट क्रिकेट के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ कितना सही

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने एक अहम फैसले में वनडे और टी-20 के बाद अब टेस्ट क्रिकेट मैच को भी दूधिया रोशनी में खेले जाने का निर्णय लिया है. क्रिकेट परिषद का मानना है कि इस तरह के संशोधन से टेस्ट क्रिकेट को और अधिक लोकप्रिय बनाया जा सकता है. अपने इस निर्णय से उन्होंने टेस्ट क्रिकेट का पूरी तरह से बाजारीकरण करने का फैसला किया. उन्होंने टेस्ट के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ करके उसे वनडे और टी-20 की तरह रंगीन बनाने की कोशिश की है. हालांकि डे-नाइट मैचों में बॉल किस रंग की होगी, इसका फैसला सदस्य देशों के क्रिकेट बोर्डों पर छोड़ा गया है. इसके अलावा यह भी उन पर निर्भर करेगा कि वे डे-नाइट टेस्ट मैच खेलना चाहते हैं या नहीं.



बाजार इस कदर क्रिकेट पर हावी हो रहा है कि किक्रेट संघों के ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को पैसों के अलावा कुछ और नहीं दिखता. इस तरह के बदलाव से अब दर्शकों को वह पांच दिन का संघर्ष देखने को नहीं मिलेगा जिसमें कप्तान से लेकर खिलाड़ी मैच जीतने के लिए कई तरह के गणित लगाते थे. टेस्ट मैच शुरू होने से पहले खिलाड़ी Read More Click Here

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